इस्राइल जाने वाले कामगारों को राज्य सरकार इस बार एक पेशेवर की तरह तैयार कर रही है। उन्हें न सिर्फ बेसिक अंग्रेजी का कोर्स कराया जा रहा है, बल्कि उनके कौशल को प्रमाणित भी किया जा रहा है। इस पहल से दुनिया भर में यूपी के कामगारों के लिए दरवाजे खुलेंगे। चुने गए निर्माण श्रमिकों को न्यूनतम 1.37 लाख रुपये वेतन व अन्य सुविधाएं दी जाएंगी। इस्राइल की पॉपुलेशन, इमीग्रेशन और बॉर्डर अथॉरिटी (पीआईबीए) श्रमिकों का चयन करेगी।
25 से 45 वर्ष की उम्र के बीच फेम वर्क, शटरिंग कारपेंटर और सिरेमिक टाइल श्रमिकों की मांग फिर इस्राइल ने की है। पहले चरण में गए करीब पांच हजार कामगारों के बाद इस बार दस हजार के लिए भर्ती खोली गई है। लाखों रुपये की नौकरी पाने के लिए यूपी के कामगारों में मची होड़ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 21 सितंबर को पंजीकरण के लिए पोर्टल खोला गया था। महज तीन दिन में 6200 से ज्यादा पंजीकरण हो चुके हैं। इस बीच कामगारों को बेसिक अंग्रेजी सिखाने के लिए प्रत्येक जिले के नोडल आईटीआई में इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स शुरू कर किए गए हैं।
दरअसल यूपी के कामगार काम में कुशल हैं, लेकिन अंग्रेजी में कमजोर पड़ जाते हैं। इस्राइल में हिब्रू भाषा बोली जाती है। इसके बाद अंग्रेजी का नंबर आता है। हिब्रू सीखना कठिन है इसलिए कामगारों को इतनी अंग्रेजी सिखाई जाएगी, जिससे वे आम बोलचाल की भाषा से काम चला सकें। पहले चरण में कामगारों को उनके काम से जुड़े टूल्स और सामान्य बोलचाल के शब्दों को सिखाया जाएगा। अपर निदेशक सेवायोजन पीके पुंडीर ने बताया कि अंग्रेजी प्रशिक्षण के लिए एसेसमेंट चल रहा है। इसकी प्रक्रिया पूरी होने के बाद आरपीएल ट्रेनिंग शुरू की जाएगी।
पहली बार कामगारों के काम का प्रमाणीकरण
इस बार कामगारों को आरपीएल (रिकगनिशन ऑफ प्रायर लर्निंग) प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। ये 30 घंटे का प्रशिक्षण है जिसे पूरा कर कामगार को उसके कौशल का सर्टिफिकेट देगा। आरपीएल का मतलब पूर्व शिक्षण की मान्यता है। ये एक ऐसी प्रक्रिया है जो किसी व्यक्ति के मौजूदा कौशल, ज्ञान और अनुभव का मूल्यांकन करती है। आरपीएल लोगों को उन चीजों को दोबारा सीखने से बचने में मदद कर सकता है जिन्हें वे पहले से जानते हैं। पूर्व अनुभव या कौशल वाले व्यक्ति आरपीएल के तहत मूल्यांकन और प्रमाणित होने के लिए पंजीकरण कर सकते हैं।
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