December 31, 2025

Karm Ka Siddhant

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किशोर न्याय समिति, उच्च न्यायालय, उत्तराखंड के तत्वाधान में और महिला सशक्तिकरण एवं बाल

देहरादून

विकास के सहयोग से “बालिका सुरक्षा : भारत में उसके लिए एक सुरक्षित और सशक्त वातावरण की ओर”

विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन उत्तराखंड न्यायिक एवं विधिक अकादमी उजाला भवाली में किया

गया । कार्यशाला का उद्देश्य बालिकाओं के खिलाफ हो रही हिंसा को रोकने के प्रयासों, बाल विवाह की

रोकथाम एवं बालिकाओं की तस्करी को रोकने एवं बालिकाओं के सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण पर

गहन मंत्रणा करना और भविष्य की बेहतरी के लिए रूपरेखा तैयार करना था । इस अवसर पर उत्तराखंड

विधिक एव न्यायिक अकादमी (उजाला) द्वारा तैयार की गई पुस्तिका जनरल रूल्स (क्रिमिनल) एवं किशोर

न्याय समिति द्वारा तैयार की गई पॉक्सो एक्ट 2012 पर सूचना पत्र का भी विमोचन किया गया

कार्यशाला का उद्घाटन उत्तराखंड उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायधीश श्री गुहानाथन नरेंदर

एवं अन्य उपस्थित माननीय न्यायमूर्तिगण, माननीय न्यायमूर्ति श्री रवीन्द्र मैथानी, न्यायमूर्ति आलोक कुमार

वर्मा, न्यायमूर्ति श्री राकेश थपलियाल, श्री आलोक माहरा एवं न्यायमूर्ति श्री सुभाष उपाध्याय द्वारा द्वीप

प्रज्ज्वलन से हुआ ।

माननीय मुख्य न्यायाधीश, श्री गुहानाथन नरेंदर ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए महान तमिल

कवि सुब्रह्मण्यम भारती की पंक्तियों को उद्धृत करते हुए बालिकाओं से निर्भीक एवं आत्मविश्वासी बनने का

आहवाहन किया l

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए माननीय न्यायमूर्ति श्री रवींद्र मैथानी ने कहा की आजादी के

इतने वर्षों के बाद, संवैधानिक प्रावधानों के, केंद्रीय और राज्य के योजनाओं के बाद भी अगर आज भी हम

बालिका के विरुद्ध हिंसा और बाल विवाह की रोकथाम विषय पर चिंतन करने की आवश्यकता पड़ रही है

तो ये चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि सभी हितधारक अपना अपना कार्य लगन और प्रतिबद्धता से करें ।

 

कार्यशाला के मुख्य भाषण में किशोर न्याय समिति के अध्यक्ष माननीय न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल

जी ने पीसीपीएनडीटी एक्ट , एमटीपी एक्ट पर चर्चा की एवं क़ानून के दुरुपयोग पर प्रतिभागियों का ध्यान

आकृष्ट किया । उन्होंने पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत रिकॉर्डिंग ऑफ़ स्टेटमेंट पर विशेष चर्चा की ।

अपने स्वागत भाषण में माननीय न्यायमूर्ति श्री सुभाष उपाध्याय ने बालिका हिंसा की रोकथाम के

लिए न्यायपालिका और क़ानून लागू करने वाली संस्थाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला और यह भी बताया

कि ये किस तरह से बालिकाओं के विरुद्ध हिसा को रोकने में मदद कर रही है ।

अपने परिचयात्मक उद्बोधन में माननीय न्यायमूर्ति श्री आलोक माहरा ने संविधान के प्रावधानों और

सुप्रीम कोर्ट द्वारा समय समय पर बालिका सुरक्षा एवं सशक्तिकरण दिय गए निर्णयों के प्रति प्रतिभागियों का

ध्यान आकृष्ट किया l

श्री योगेश कुमार गुप्ता रजिस्ट्रार जनरल, महानिबन्धक उच्च न्यायालय ने सभी माननीय

न्यायमूर्तिगण, सभी वक्ताओं, विशेषज्ञों,सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया l

माननीय न्यायमूर्ति आलोक माहरा ने समापन भाषण में सभी का आभार व्यक्त किया और आशा

व्यक्त की इस कार्यशाला के निष्कर्ष, सीख और उपलब्धियों को ज़मीनी स्तर पर लागू किया जाएगा ।

कार्यशाला में चार सत्र हुए जिसमें श्री चंद्रेश यादव , सचिव महिला सशक्तिकरण एवं वाल विकास ,

डॉ रश्मि पंत डायरेक्टर एनएचएम एवं पुलिस अधीक्षक निहारिका तोमर के अतिरिक्त विषय विशेषज्ञों

सुश्री भारती अली, डॉ संगीता गौड़, राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा कुसुम कंडवाल, डॉ मंजू ढौंडियाल,

एवं सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों सुश्री अदिति कौर एवं सुश्री कंचन चौधरी ने अपने विचार व्यक्त

किये।

कार्यशाला में उजाला के डायरेक्टर सहित अन्य पदाधिकारी , यूकेएसएलएसए के मेम्बर सेक्रेटरी,

उच्च न्यायालय के सभी रजिस्ट्रार, प्रदेश के सभी जिलों के जिला जज, पॉक्सो कोर्ट एवं त्वरित न्याय विशेष

न्यायालय के पीठाशीन अधिकारियों एवं बाल न्यायालय बोर्ड के मुख्य न्यायधीश के अतिरिक महिला

 

सशक्तिकरण एवं वाल विकास, पुलिस विभाग, स्वास्थ विभाग, शिक्षा विभाग, समाज कल्याण विभाग,

पंचायती राज विभाग के पदाधिकारियों ने भाग लिया ।

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