‘हर काम देश के नाम’
आरआईएमसी कैडेट्स ने काशी नरेश भागविभूति नारायण सिंह अखिल भारतीय अंतरविद्यालय हिन्दी वाद-विवाद में जीता मैदान !!
देहरादून
राष्ट्र्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज, देहरादून ने एक बार फिर अपनी बौद्धिक क्षमता और भाषण कला का परचम लहराते हुए ऐतिहासिक ‘काशी नरेश वाग्विभूति नारायण सिंह अखिल भारतीय हिन्दी वाद-विवाद प्रतियोगिता’ में प्रथम स्थान प्राप्त किया। 15 से 17 सितम्बर तक चले इस आयोजन में देशभर के 14 प्रतिष्ठित विद्यालयों के छात्रों ने विचारों, तर्क और वाक्-कौशल की अनूठी प्रस्तुति दी।

यह प्रतियोगिता हिन्दी दिवस (14 सितम्बर) की भावना के अनुरूप हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने और युवाओं में तर्कशीलता, संवेदनशीलता व अभिव्यक्ति-कौशल को निखारने के उद्देश्य से आयोजित की गई।

थिमैया ऑडिटोरियम में हुए फाइनल राउंड में आरआईएमसी, शेरवुड कॉलेज, दून इंटरनेशनल स्कूल और सिंधिया कन्या विद्यालय के बीच मुकाबला हुआ। निर्णायक मंडल में प्रो. आशीष रतूड़ी प्रगाय, प्रो. पूनम पाठक और प्रो. राम विनय सिंह शामिल थे। मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व आईएएस डॉ. संजीव चोपड़ा और विशेष अतिथि के रूप में 93.5 एफएम देहरादून की प्रमुख श्रीमती रजत शक्ति उपस्थित रहीं।

आरआईएमसी के कैडेट्स ने अपने धारदार तर्क और प्रभावी प्रस्तुति से निर्णायकों व दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कैडेट अजय सिंह को ‘सर्वश्रेष्ठ वक्ता’ चुना गया, जबकि कैडेट पार्थ कुमार तिवारी को ‘द्वितीय सर्वश्रेष्ठ वक्ता’ का सम्मान दून इंटरनेशनल स्कूल की देविशी उनियाल के साथ साझा करना पड़ा।
अंतिम परिणाम:
प्रथम स्थान – आरआईएमसी
द्वितीय स्थान – दून इंटरनेशनल स्कूल
तृतीय स्थान – शेरवुड कॉलेज
चतुर्थ स्थान – सिंधिया कन्या विद्यालय
वाद-विवाद के बीच कैडेट्स की बहुआयामी प्रतिभा भी सामने आई। 16 सितम्बर को आरआईएमसी म्यूज़िक क्लब ने कैडेट एंजो के वायलिन और कैडेट जय की बाँसुरी वादन की प्रस्तुति दी। समापन दिवस पर 93.5 रेड एफएम की आरजे निधि के साथ रोचक टॉक शो भी हुआ।
समारोह का समापन पुरस्कार वितरण और औपचारिक रात्रिभोज के साथ हुआ, जिसमें संवाद और आलोचनात्मक सोच की भावना को सम्मानित किया गया। परंपरा निभाते हुए, आरआईएमसी ने रोलिंग ट्रॉफी उपविजेता दून इंटरनेशनल स्कूल को सौंपकर मैत्री और कृतज्ञता का संदेश दिया।
आरआईएमसी के कमांडेंट कर्नल राहुल अग्रवाल ने कहा, “विचारों के अखाड़े में जीत सिर्फ विजय में नहीं, बल्कि दृष्टिकोणों के आदान-प्रदान में होती है, जो कल के विचारशील नागरिकों को गढ़ती है।”
यह प्रतियोगिता न केवल कैडेट्स के बौद्धिक और भाषण कौशल को विकसित करने का मंच बनी, बल्कि हिन्दी भाषा की समृद्धि को भी बढ़ावा देकर हिन्दी दिवस के अवसर को सार्थक बनाया।
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